सुबह-सुबह जब ऑख खुली
सूरज को निकलते देखा है......
टिमटिम करते तारों को
बादल में छुपते देखा है......
उजियारे की किरणों से
आकाश को रौशन देखा है......
कलकल करते पानी में
तरंगों को उठते देखा है......
टिपटिप करती बूंदों में
मन को हर्षोल्लित देखा है......
मधुर-मधुर सी आवाज में
कोयल को गाते देखा है......
इस रंग रंगीले मौसम में
मोर को नाचते देखा है......
साथ में निकली चहचह करती
चिड़ियों को उड़ते देखा है......
मंद गति से आनन्दित होती
वायु को बहते देखा है......
उसमें हरे-भरे वृक्षों को
मस्त झूमते देखा है......
सुन्दर-सुन्दर प्यारे-प्यारे
फूलों को खुश होते देखा है.....
रंग बिरंगी तितलियों को
उनमें रस लेते देखा है......
उसको पकड़ने की चाहत में
बच्चों को खेलते देखा है.....
और उसको हॅसता देख
उसकी मॉ को रोते देखा है......
आज सुबह उठकर मैंने
ऐसा अनुपम दृश्य देखा है।