Monday, September 26, 2011

आंसू


ये आंसू भी बड़े अजीब होते हैं....
पर शायद दिल के सबसे करीब होते हैं,
कभी चाहो तो भी नहीं आते और
कभी न चाहो तो भी आ जाते हैं।
        कभी प्यार में तो कभी तकरार में....
        या रहरहकर किसी के इन्तजार में,
        कभी किसी से मिलने की खुशी में,
        तो कभी किसी से बिछड़ने के गम में।
कभी किसी की यादों में....
तो कभी याद आईं बातों में,
कभी अकेलेपन के एहसास में,
तो कभी सभी के साथ में।
        कभी मजबूरियों के हालात में.....
        तो कभी गलती के पश्चाताप में,
        कभी दर्द की पुकार में,
        तो कभी दुआ की आवाज में।
कभी ये मन को हल्का करते हैं....
तो कभी किसी के कुछ न कहने पर निकलते हैं,
कभी मुसीबत में आते हैं,
तो कभी हौसला बन जाते हैं,
         कभी ये हाले दिल बयां करते हैं....
         तो कभी किसी के अल्फाजों पर छलकते हैं,
        कभी किसी कहानी को सुनकर बरसते हैं,
        तो कभी एक नई कहानी रचते हैं।
सच में ये आंसू बड़े अजीब होते हैं....
तभी तो शायद दिल के सबसे करीब होते हैं।
   

Wednesday, September 21, 2011

मेरी अभिलाषा




सोचती हू कि आखिर क्या है जीवन की परिभाषा,
कब और कैसे समझ पाऊंगी मैं इसकी भाषा.....
वो ईश्वर ही है, जिसने हम सबको है बनाया,
पर इंसान अब तक उसकी महिमा जान न पाया।
                     आज मेरे दिल में एक ख्याल आया,
                     खुद को जानने का एक विचार आया......
                     मै कौन हूं, अपने को पहचानूं,
                     अपने इस जीवन के उद्देश्य को जानूं।
जितना जानने की कोशिश करती उतना ही खो जाती,
पर अपने इस जीवन के मर्म को जान न पाती.....
जितना अब तक जाना, उससे यह विश्वास पाया है,
बिन तुम्हारी कृपा के कुछ नहीं हो पाया है।
                     अब तो हर पल बस एक ही आजमाइश है,
                     तुम्हें सिर्फ तुम्हें पाने की ख्वाहिश है।
                     क्या जाने कब पूरी होगी मेरी अभिलाशा,
                     इसकी खातिर ही तो है मुझे जीने की आशा।

Tuesday, September 6, 2011

Dormy 14



हॉस्टल लाइफ मस्त है यार,
एक तरफ झगड़ा तो दूसरी तरफ प्यार ही प्यार।
आओ दिखाएं तुम्हें Dormy 14 का नजारा,
ये छोटा-सा प्यारा सा घर है हमारा।
                       इससे पहले की बात आगे बढ़ जाए,
                       इन 8 Angles का Brief Intro हो जाए।
सबसे पहले आती है मॉडल अंकिता की बारी,
जो लिखती है Poem बहुत प्यारी प्यारी।
रह-रहकर जो मम्मी मम्मी चिल्लाए,
शरारती दिव्या Dialogues सुनाए।
                     छोटी-सी प्यारी सी है रचना भटट्,
                     पूरे U.K. की सैर करा दे फटाफट।
जैसा की आप जानते ही होंगे,
जग्गू माता को तो पहचानते ही होंगे।
Management का काम जहां है,
नवनीता मिश्रा का नाम वहां है।
                    अगर आपको Mimicry देखना है तो कहीं मत जाइए,
                   हमारी प्यारी ज्योतिशिखा उर्फ धन्नो को बुलाइए।
जिसका P.R. है जबरदस्त,
अपनी प्रियंका मोटी है बड़ी मस्त।
इसके साथ ही ये Intro हुआ पूरा,
लेकिन अभी ये सफर है अधूरा।
                  हमारी Dormy में कुछ Changes हुआ है,
                 प्रियंका शर्मा का Replacement हुआ है।
उसकी जगह आई है एक नई Member वन्दना सिंह,
जो पढ़ती है Tourism और करती है Sketching.
Last मे आता है सलोनी यानि मेरा Turn,
जिससे होता है इस Sweet-सी Poem का End.
                 ये है Dormy 14, जहां से शुरू हुआ ,
                 D.S.V.V. में सलोनी का सफर।

Thursday, September 1, 2011

क्यों

 अकसर ऐसे हालात बनते क्यों हैं ?
लोग हर मोड़ पर अटकते क्यों हैं ?
छोटी-सी हालत से डर जाते हैं ,
जब इतना डरते हैं तो घर से निकलते क्यों हैं ?
                              मैं न जुगनू हू, न दिया हू, न तारा हू ,
                             फिर रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं ?
                            नींद से मेरा कोई वास्ता है नहीं ,
                            तो ख्याब आकर मेरी छत पर टहलते क्यों हैं ?
जिस मोड़ पर संभलना होता है सबको ,
उसी मोड़ पर आकर बहकते क्यों हैं ?
कहना चाहती हू उनसे,
पर अल्फाज़ होठों पर आकर रूकते क्यों हैं ?
                          अभी वक्त है जान लो उस सच को ,
                         फिर मत कहना मेरे साथ ही ऐसा क्यों है ?