Sunday, February 17, 2013

मुलाकात



ना जाने वो कौन सा पल था...
ना जाने उस पल में क्या बात थी...
एक ही पल में सब कुछ बदल गया...
ना जाने वो कैसी मुलाकात थी...
           क्या वो दिन थे, क्या वो रात थी...
           ठण्डी पवन थी और बिन मौसम बरसात थी...
           ना जाने उन बूंदों में क्या मिठास थी...
           ना जाने वो कैसी मुलाकात थी...
क्या वो सुबह थी, क्या वो शाम थी...
सूरज की किरणें और समुन्दर की आवाज थी...
ना जाने उस समुन्दर में क्या प्यास थी...
ना जाने वो कैसी मुलाकात थी...
           क्या वो आज था, क्या वो कल था...
           नील गगन में उड़ जाने का मन था...
           ना जाने उन पक्षियों को क्या तलाश थी...
           ना जाने वो कैसी मुलाकात थी...
क्या वो मैं थी, क्या वो तुम थे...
प्यार के रंगों से सजे ऐसे गुल थे...
ना जाने उन गीतों में क्या साज थी...
ना जाने वो कैसी मुलाकात थी...

जी लो...



वक्त कहता है कि जो भी है वो गुजर जाऐगा
जो आज है उसे जी लो,
क्या पता कल कौन सा नया मोड़ जिन्दगी में आऐगा।
             जो बीत गया वो कल अपने किस्से सूनाएगा....
             जो आने वाला कल है वो सपने नये दिखाएगा...
             जो चल रहा समय है वो पल भर में बीत जाएगा...
             जो आज है उसे जी लो,
             क्या पता कल कौन सा नया मोड़ जिन्दगी में आऐगा।
कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश, कुछ हौसले बुलन्दी के...
कुछ आसमां से लम्बी उड़ाने, कुछ रास्ते मंजिल के...
ख्याब जो कुछ हकीकत तो कुछ सपना बन रह जाऐगा...
जो आज है उसे जी लो,
क्या पता कल कौन सा नया मोड़ जिन्दगी में आऐगा।
             कुछ चाहतें अपनों से, कुछ रिश्ते प्यार के...
             कुछ बातें अनकही सीं, कुछ किस्से यार के...
             वादा जो कुछ पूरा तो कुछ अधूरा रह जाऐगा...
             जो आज है उसे जी लो,
             क्या पता कल कौन सा नया मोड़ जिन्दगी में आऐगा।