Wednesday, August 24, 2011

भ्रष्टाचार


आज ये हाल है, सभी लोग बेहाल हैं,
आजाद भारत में भ्रष्टाचार की मार है।
भ्रष्टाचार की जड़ों को है अब उखाड़ फेकना,
चाहे इसके लिए पड़े हमें अपनी जान से खेलना।
          वो दिन दूर नहीं जब सफलता का सूरज निकल आएगा,
          सोने की चिड़िया भारत फिर से कहलाएगा।
          जरूरी है बनाओ अपना चरित्र महान,
          कागज के चंद रूपयों की खातिर अब बेचना मत अपना इमान।
दिन में है अंधियारा और रात उजियारी,
अगर करना है भ्रष्टाचार को दूर तो दिखानी होगी समझदारी।
बस आखिर में इतना कहना है-
          एक अकेला इंसान नहीं कर सकता सब कुछ
          एकता ही वह शक्ति है जो बदल सकती है सब कुछ
          साथ मिला सबका तो देश से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा
          वरना एक इंसान अकेला ही मिट जाएगा।

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